By Prabhakar,
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 करीब है। चुनावी मौसम में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ केंद्र सरकार की तमाम योजनाओं और कामों को भुनाते नज़र आ रहे हैं। चुनावी सभा को संबोधित कर रहे हों या किसी योजना का शिलान्यास या लोकार्पण कर रहे हों, उत्तर प्रदेश के हर मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ साथ-साथ नजर आ रहे हैं। चुनावी अंदाज में एक दूसरे के कार्यों की सराहना कर रहें हैं और योजनाओं से लाभान्वित हुई जनता और प्रदेश के विकास की जी भर चर्चा भी कर रहे हैं।
मगर दावे से किसी का पेट नहीं भरता, तन पर कपडे नहीं आते और न ही सर पर छत। इस श्रृंखला में हम आपको तथाकथित सफल योजनाओं की कागज़ी सच्चाई और जमीनी हकीकत के बीच के अंतर को बहुत बारीकी से और तह तक जाकर दिखाएंगे। इस श्रृंखला का नाम "गांव का मौसम गुलाबी है" है जिसके पहले भाग में हम "बिजली हर घर" की पड़ताल करेंगे।
Photo Credit: BSPHCL |
उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली हर घर पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा चलाई गई "सौभाग्य योजना" के साथ मीलों का सफ़र तय किया। साल 2017 के सितंबर माह में राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार को दिए गए आंकड़ों में ग्रामीण घरों की कुल संख्या 302.34 लाख थी और इस समय 146.47 लाख ग्रामीण घर गैर विद्युतीकृत थे। सौभाग्य डॉट जीओवी डॉट इन https://saubhagya.gov.in पर दिए गए आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में 28675462 घरों में 10 अक्टूबर 2017 तक कुल 21196195 घर विद्युतीकृत थे और 31 मार्च 2019 तक 7980568 और घरों को विद्युतीकृत किया गया। आंकड़ों की मानें तो मार्च 2019 में उत्तर प्रदेश के सभी घरों को विद्युतीकृत कर दिया गया था। इन तमाम आंकड़ों पर उत्तर प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी चुनावी रैलियों में मुखर होकर बोलते नज़र आते हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ शायद कुछ और कहती है। शायद इसका कारण उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग का भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाना है।
सीधे सच्चे दिल से शायरी कहने वाले शायर अदम गोंडवी ने शायद गांवों तक रोशनी पहुंचने की स्पीड को पहले ही परख लिया था और गांवों तक रोशनी मिलने की हकीकत पर अपना ये शेर लिख दिया -
"जो उलझ कर रह गयी है फाइलों के जाल में
गाँव तक वह रौशनी आएगी कितने साल में"
अब ज्यादातर गांवों में रोशनी तो आ गई लेकिन एक नई मुसीबत भी साथ ले आयी।
उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार के सहयोग से बिजली हर घर पहुंचाने का लक्ष्य पूरा किया है। ग्रामीण इलाकों में हर घर रोशनी तो पहुंची मगर आर्थिक बोझ बनकर। अब लोग इस उजाले को कोसते नजर आ रहे हैं। अब रोशनी आयी है लेकिन एक नई मुसीबत बन कर।
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में इसी तरह की घटना सामने आई। बहादुरपुर ब्लॉक के बेलवाडाड़ गांव में दलित बस्ती को "सौभाग्य योजना" के तहत 2018 में विद्युतीकृत किया गया लेकिन उन्हें सालों-साल बीत जाने के बावजूद न ही कनेक्शन की रसीद दी गई और न ही कोई बिजली बिल। दलित बस्ती में अधिकतर लोगों के अशिक्षित होने और जागरूकता की कमी होने के कारण लोगों को कभी यह अंदाजा ही नहीं था कि आने वाले समय में उनको किन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और उनके साथ क्या होने वाला है। बिजली विभाग ने बिल जारी करना तो दूर की बात कभी कनेक्शन रसीद तक देने के बारे में भी नहीं सोचा।
गांव के समाजिक कार्यकर्ता डॉ. प्रेम नारायण ने जब ग्रामीणों की समस्या पर चीफ इंजीनियर बस्ती जनपद को एक शिकायती पत्र लिख डाला। डॉ. प्रेम नारायण ने बताया कि बिजली विभाग ने दलित बस्ती के लोगों को बिजली कनेक्शन देने के नाम पर उनसे मनमाना पैसा वसूला है और उन्हें कनेक्शन रसीद और बिल न देकर ठगी और धोखाधड़ी की है।
शिकायत पत्र |
क्या बिजली विभाग दलितों के साथ जातिगत भेदभाव भी करता है?
बेलवाडाड़ गांव के एक हिस्से में दलित बस्ती है और एक हिस्से में ब्राह्मण बस्ती। गांव के ब्राह्मण बस्ती में भी बकाएदारों की कमी नहीं है। किसी का बकाया 25- 50 हज़ार रूपये तक है तो किसी का लाख - दो लाख भी है। ऐसे में केवल दलित बस्ती में अधिकारियों द्वारा फेक जांच पड़ताल किया जाना और बकाए के नाम पर छोटे उपभोक्ताओं का नियम विरूद्ध तरीके से जबरन विद्युत विच्छेदन किया जाना जातिगत भेदभाव का ही नतीज़ा कहा जा सकता है। पिछड़ी जाति के लोगों को प्रताड़ित करने और उन्हें दबाकर रखने की मानसिकता भी इसका एक बड़ा कारण हो सकती है। यह उत्तर प्रदेश सरकार और बिजली विभाग के लिए बेहद शर्मनाक बात है।
राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पत्र |
दलित बस्ती के निवासी दिलीप कुमार बताते हैं- “मैं पॉवर हाउस पर जाकर अधिकारियों को शिकायत दिया और कहा कि मेरा बिजली बिल काफी लंबे समय से नहीं दिया जा रहा है और एक साथ अधिक बिल आ जाने पर हम जमा नहीं कर पाएंगे। मेरी शिकायत से गुस्सा होकर बिजली विभाग के लोग आए और मेरा कनेक्शन काट दिया।”
जानिए सरकारी आदेशों पर कितना किया गया अमल! @myogioffice@puvvnlbasti @MD_PuVVNL@mduppcl @UppclChairman@ChiefSecyUP @CMOfficeUP @UPGovt#UttarPradesh #UPPCL #Basti— Dr. Prem Narayan (@PremNarayan_) September 10, 2021
गांव के ही बबलू कहते हैं - “मेरी पत्नी ने कलवारी उपकेंद्र पर लाइन मैन राजेंद्र को सालों पहले 700 रूपये दिया था और कनेक्शन के लिए आधार कार्ड और अन्य जरूरी दस्तावेज भी दिया था लेकिन आज तक कोई बिजली रसीद या बिल नहीं मिला। जब भी लाइनमैन से बात करते हैं तब राजेंद्र कहते हैं कि मिल जायेगा क्यों परेशान हो!” बिजली विभाग ने गांव के दलित बस्ती में भय पैदा करने की पूरी कोशिश की और उन पर शिकयतों को वापस लेने का दबाव भी बनाया। लेकिन ग्रामीणों ने हार नहीं मानी। अबकी बार दलित बस्ती के ग्रामीणों ने जागरूकता दिखाते हुए ख़ुद विद्युत उपकेंद्र कलवारी जाकर अपनी - अपनी शिकायत दर्ज करवाई। शिकायत पत्र यहाँ देखें
व्यापक भ्रष्टाचार के मामले को दबाने के प्रयास में बिजली विभाग ने ग्रामीणों का हमदर्द बनकर उनसे थोड़ा-थोड़ा धन जमा करके हिसाब बराबर कर देने की बात कही और ग्रामीण बिजली विभाग के झांसे में आ गए और अब उन्हें दुबारा धोखे का शिकार होना पड़ा। अब उन्हें एक साथ कई कई हजार रूपए के बिल भेजे जा रहे हैं। ग्रामीण बिजली विभाग की इस भ्रष्ट व्यवस्था से बेहद हैरान व परेशान हैं।
वहीं पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, बस्ती का कहना है कि इन ग्रामीणों ने सौभाग्य योजना के तहत साल 2018 में विद्युत कनेक्शन लिया था और उन्हें हर महीने बिल जारी किया जाता है।
लेटर में लेकिन कुल 3 उपभोक्ताओं को विद्युत चोरी करते हुए पाया जाना बताया है जबकि इन उपभोक्ताओं ने साक्ष्य देते हुए बताया है कि हमने अपने विद्युत कनेक्शन के लिए लाइनमैन को सभी जरूरी दस्तावेज और उनके द्वारा बताया गया रुपया भी दिया लेकिन उन्होंने अब तक कोई कनेक्शन रसीद या बिजली बिल नहीं उपलब्ध कराया और लगतार टालते रहे। इस मामले से जुड़े दस्तावेज़ यहाँ देखें
हमसे आगे बात करते हुए बबलू बताते हैं कि मैंने इस बारे में विद्युत वितरण खण्ड द्वितीय, बस्ती के वर्तमान एक्सियन ज्ञान प्रकाश जी को भी शिकायत दी लेकिन वे ठगी और धोखाधड़ी करने वाले विभागीय अधिकारियों कर्मचारियों पर कार्यवाही करने के बजाय मुझे पर ही विद्युत चोरी का आरोप मढ दिया। फिर मुझे साक्ष्य के साथ जवाब देने पर मजबूर होना पड़ा। अब मुझे डर सता रहा है कि एक साथ बिल की बड़ी रकम को जमा कर पाना मेरे लिए आसान नहीं होगा। इसलिए हम आगे बड़े अधिकारियों के पास अपनी शिकायत लेकर जाना चाहते हैं।
सरकारी योजनाओं के ऐलान से लेकर उन योजनाओं की सफलता का सफर इन गांव वालों के लिए अधिकारियों द्वारा सताया जाना और फिर से अधिकारियों के पास शिकायत लेकर जाने तक का है बस। इस श्रृंखला के अगले भाग में हम ऐसे ही किसी दूसरे सफर की पड़ताल करेंगे।