By Prabhakar
14 दिसंबर 2021 को सूचना पत्र कार्यालय द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार सत्र 2018-19 व 2020-21 में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत उत्तर प्रदेश में कुल 1213612 आवास आवंटित किए गए जिसमें 638458 घर पूरे तरीके से तैयार बताए गए हैं। जिस पर केंद्र सरकार ने 875239.88 रूपये की मदद दी।
उत्तर प्रदेश का बस्ती जिला भी प्रधानमंत्री आवास योजना से अछूता नहीं रहा। सबको पक्का मकान देने की ओर अग्रसर भारत सरकारी फाइलों में नित नए मक़ाम हासिल कर रहा है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत एक भ्रष्ट तंत्र की ओर भी इशारा करती है। ये भ्रष्ट व्यवस्था ऐसी है जहां पर धन डीबीटी पहल के बावजूद दलालों के बीच से ही बटता हुआ लाभार्थी तक पहुंचता है। “गांव का मौसम गुलाबी है” श्रृंखला के तीसरे भाग में जानिये प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की जमीनी हकीकत।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) - मॉडेल हाउस | जागरण |
बस्ती जिले के विकास खण्ड बहादुरपुर में पकड़ी छब्बर और बेलवाडाड़ गांव के तमाम लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का लाभार्थी बनाया गया। इन लाभार्थियों की लम्बी लिस्ट है जिसमें महिलाएं और पुरूष दोनों शामिल हैं। इन लोगों को एक - एक सरकारी आवास आवंटित किया गया। सत्र 2020-21 के लाभार्थियों की सूची में बकायदा सभी नामों को अंकित भी किया गया है: सूची
लाभार्थियों की सूची में कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें आवास भी आवंटित किया गया और उन्हें योजना की दूसरी किश्त भी जारी की गई। बावजूद इसके वो अपना पक्का मकान पूरा नहीं कर सके और प्रशासन भी मूकदर्शक बना रहा। घर को न पूरा कराए जाने की स्थिति में लंबा समय बीत जाने पर ग्राम पंचायत के तत्कालीन नव नियुक्त सेक्रेटरी रवि प्रकाश पाण्डेय ने इन लाभार्थियों को एक-एक नोटिस भी जारी किया।
लाभार्थियों को दी गई नोटिस में क्या है?
साल 2021 के सितंबर माह में तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव "रवि प्रकाश पाण्डेय" द्वारा जारी नोटिस में धन के दुरुपयोग किए जाने का जिक्र करते हुए 1 सप्ताह के अंदर धन के सापेक्ष आवास निर्माण कार्य न कराए जाने पर वसूली की चेतावनी दी गई। और फिर लगातार दिन और रात अपनी गति से होती रही लेकिन न ही आज तक सभी का आवास निर्माण पूरा हुआ और न ही वसूली हुई। इस बीच कई ग्राम पंचायत सचिव का स्थानान्तरण हुआ और कई नये सचिव की नियुक्ति भी हुई लेकिन कई आवासों का अधूरापन और अधिकारियों का मौन बहाल रहा।
तत्कालीन ग्राम पंचायत सचिव "रवि प्रकाश पाण्डेय" द्वारा जारी नोटिस |
क्यों नहीं बना घर!
जब ग्राम पंचायत पकड़ी छब्बर के गांव पकड़ी छब्बर का जायजा लिया और लाभार्थियों से घर को पूरा न कराए जाने के बारे में पूछा तो सभी ने अपनी अलग - अलग समस्या बताई। लाभार्थी दुर्गावती बताती हैं मेरे पति के नाम से सरकारी आवास आया था और मैंने घर बनवाना भी शुरू कर दिया था लेकिन एक दुर्घटना में मेरे छोटे लड़के आर्यन का हाथ आग से बुरी तरह झुलस गया। इलाज के खर्च से मेरे ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ता गया और आवास के लिए आये सरकारी धन का भी कुछ हिस्सा लड़के की दवा में लगाना पड़ा और इसी कारण घर का छत समय पर नहीं लगवा सकी।
वहीं गांव की दो अन्य लाभार्थी राधा और प्रमिला ने बताया कि जहां घर का निर्माण करना था वो जमीन बहुत बड़े गड्ढे में थी जिस कारण से उनके सरकारी मदद का दो गुना घर का फाउंडेशन तैयार करने में ही लग गया और धन के अभाव में छत का निर्माण बाकी ही रह गया। अब धन का इंतजाम करके 4-6 महीने मे पूरा कर लेंगे।
लाभार्थी राधा और प्रमिला का निर्माणाधीन घर |
इसी तरह पकड़ी छब्बर गांव में छप्पर के नीचे सोए हुए एक वृद्ध से मुलाकात हुई। वृद्ध का नाम बद्री प्रसाद है ये लाभार्थी संतोष कुमार के पिता हैं। घर न पूरा होने का कारण पूछे जाने पर कहते हैं कि घर बना रहे थे लेकिन बारिश के समय में पानी भर गया और अभी तक पूरा नहीं करवा पाए। मौके पर रखे बिल्डिंग मैटीरियल ईट, बालू, सरिया को दिखाते हुए बता रहे थे कि जब जांच अधिकारी मौके की जांच के लिए आए थे तो मैंने उनको भी ये सब दिखा दिया था। लाभार्थी संतोष कुमार गारा- माटी देते हैं और मेहनत - मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन पोषण करते हैं।
बद्री प्रसाद ( पकड़ी छब्बर ) |
पकड़ी छब्बर निवासी और लाभार्थी केशा बताती हैं कि फाउंडेशन बनाने में ही मेरा सारा धन खर्च हो गया तो कैसे घर बनवाते। अभी छप्पर में ही गुजारा हो रहा है। जब और पैसा मिलेगा तब पूरा करवाएंगे। इसी गांव की लाभार्थी प्रतिज्ञा (परिवर्तित नाम) ने यह भी बताया कि तत्कालीन ग्राम प्रधान ने उनके सरकारी धन में अपना भी हिस्सा लिया था इस कारण उन पर और अधिक आर्थिक बोझ पड़ गया है।
घर का समय से पूरा निर्माण न कराए के सवाल पर बेलवाडाड़ गांव के भगवानदीन का कहना था कि परिवार बड़ा है और सबके रहने का इंतजाम करना है इसलिए घर का निर्माण देर से पूरा हुआ। घर बनाने में 4 से 5 लाख रुपए खर्च हो गया।ब्लॉक वाले घर का फोटो भी खींचकर ले गये थे लेकिन अभी तक मजदूरी का करीब 15000 सरकारी पैसा नहीं मिला। इसी गांव के एक अन्य लाभार्थी वीरेंद्र का कहना था कि भईया घर गड्ढे में है जब ईट वगैरह लेकर आए तब तक भारी बारिश में पूरे घर में पानी भर गया था इसलिए घर नहीं बनवा पाए अब जैसे ही व्यवस्था होती है बना लेंगे। गांव के अन्य कई लाभार्थियों ने भी घर बनाने में अब तक मिले सरकारी धन को खर्च कर दिया लेकिन अभी तक छत नहीं लगा पाए। छत न लगवा पाने के पीछे अधिकतर तर्क यही है कि मैटेरियल की महंगाई बढ़ गई है और छत लगाने में ज्यादा खर्च आ रहा है और मिलने वाले सरकारी मदद से किसी तरह घर दीवार तक ही बन पाती है।
वसूली नोटिस पर प्रशासन का पक्ष
यदि लाभार्थियों ने धन के सापेक्ष कोई कार्य नहीं कराया तो उसे विभाग ने दूसरी किस्त किस आधार पर जारी की? आरोप है कि विभागीय भ्रष्टाचार को छुपाने/दबाने के लिए तत्कालीन पंचायत सचिव "रवि प्रकाश पाण्डेय" ने ग्रामीण लाभार्थियों को दिया मनमाना धन वसूली का नोटिस दिया। इन आरोपों के बचाव में तत्कालीन खण्ड विकास अधिकारी, बहादुरपुर बस्ती ने अपनी जांच आख्या में अंकित किया कि "जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा दिए निर्देश के क्रम में आवास समय से पूर्ण कराने हेतु नोटिस जारी किया गया है। मनमाना धन वसूली के संदर्भ में कोई नोटिस नहीं जारी किया गया है।"
जांच आख्या |
प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार जारी है। अधिकतर मामलों में देखा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम प्रधान और सचिव आवास योजना भ्रष्टाचार की मुख्य भूमिका में हैं। पकड़ी छब्बर गांव के संतराम अपनी टूटी फूटी झोपड़ी की ओर इशारा करते हुए बताते हैं कि मेरे बच्चों ने मुझे अपने पक्के मकान से निकाल दिया है और हम इस जर्जर झोपड़ी में ही कई सालों से गुजारा कर रहे हैं। अपना पक्का मकान नहीं होने के कारण हम बहुत परेशानी में दिन गुजार रहे हैं। तबीयत भी ठीक नहीं चल रही है।
पकड़ी छब्बर और बेलवाडाड़ गांव में ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान तमाम ऐसे भी लोग मिले जो आज तक तक सरकारी प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लाभ से पूरी तरह वंचित हैं और घर न मिलने के कारण या तो पुराने जर्जर पैतृक मकानों में गुजारा कर रहे हैं या फिर घास फूस की झोपड़ी में।
सराकारी आवास से वंचित पकड़ी छब्बर गांव की महिला शकुंतला देवी और गायत्री देवी कहती हैं कि उन्होंने तमाम बार पूर्व ग्राम प्रधान से कहा लेकिन वो टालते रहे अब जब नए प्रधान चुने गए हैं तो वो सांत्वना दे रहे हैं कि जल्द ही आपको अपना मकान मिल जाएगा।
शकुंतला देवी ( पकड़ी छब्बर ) |
बेलवाडाड़ गांव निवासी रूपा देवी ने बहुत बार प्रयास किया कि उनका अपना एक घर हो लेकिन उन्हें हमेशा हासिए पर रखा गया और सरकारी मदद नहीं मिली। रूपा ने इस बावत कई बार शिकायतें भी दी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। कई सालों से अपने पति और अपने बच्चों के साथ कड़ी धूप-बारिश में एक टीन शेड के नीचे गुजारा कर रही हैं। रूपा दोवी बताती हैं कि मेरे पति इस बार के नवविर्वाचित ग्राम प्रधान राम फेर से भी मिल कर अपनी समस्या बताए उन्होंने आश्वासन दिया है कि हम दिलायेंगे, इंतजार करिये।
रूपा देवी ( बेलवाडाड़ ) |
ग्राम प्रधान का बयान
ग्राम पंचायत पकड़ी छब्बर के ग्राम प्रधान राम फेर का कहना है कि ब्लॉक से नये आवास आबंटित करने का प्राविधान अभी नहीं है। लाभार्थियों का घर क्यों नहीं पूरा हुआ के जवाब में उन्होंने कहा कि इस पर हम कुछ नहीं कह सकते।
सुलगते सवाल!
पीएम आवास योजना (ग्रामीण) में जिन लाभार्थियों ने योजना में प्राप्त पहली किस्त के भी सापेक्ष कोई कार्य नहीं कराया बावाजूद इसके उन्हें सरकारी अनुदान की दूसरी किस्त किस आधार पर दी गई?
क्या मौजूदा ग्राम प्रधान और सचिव अपने समकक्षीय भ्रष्ट पूर्व ग्राम प्रधान और सचिव के बचाव की गरज से लाभार्थियों पर सारा आरोप मढ़ते हुए नोटिस जारी किया?
भ्रष्टाचार के मामलों में गंभीरता से जांच क्यों नहीं की जानी चाहिए और सरकारी योजनाओं के सुव्यवस्थित क्रियान्वयन में बाधा डालने और योजनाओं में डाका डालने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ़ सख्त कार्यवाही क्यों नहीं संभव है?
यदि लाभार्थियों द्वारा चूक की जाती है तो ग्राम पंचायत पकड़ी छब्बर के ग्राम प्रधान राम फेर व अन्य सरकारी अधिकारी/कर्मचारी ऐसी चूक पर मौन क्यों हैं?
अब तक सभी जरूरतमंदों को सरकारी आवास क्यों नहीं?